उत्तराखंड में हर भूमि को मिलेगी यूनिक आईडी: भूमि की पूरी जानकारी अब एक क्लिक में
उत्तराखंड में अब हर भूमि का एक विशिष्ट पहचान नंबर होगा, जिसे यूनिक आईडी के रूप में जाना जाएगा। इस पहल को राजस्व विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है और इसके पूरा होने पर भूमि से जुड़ी हर जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। राज्य के 16,000 से अधिक गांवों में इस योजना को लागू करने की तैयारी की जा रही है। अब तक 3,000 से अधिक गांवों की भूमि के लिए यूनिक आईडी तैयार की जा चुकी है। इस यूनिक आईडी के माध्यम से भूमि की सारी जानकारी, जैसे उसका स्थान, भूस्वामी की डिटेल, देशांतर और अक्षांश निर्देशांक (Google Coordinates), आदि डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भूमि रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ कर, पारदर्शिता लाना और भूमि विवादों को कम करना है। सामान्यत: भूमि के बारे में जानकारी खसरा-खतौनी से मिलती है, लेकिन यूनिक आईडी बनने के बाद भूमि की जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध हो सकेगी, जिससे नागरिकों को काफी सुविधा मिलेगी। राजस्व विभाग के सचिव एसएन पांडे ने बताया कि इस योजना को केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के सहयोग से लागू किया जा रहा है। प्रत्येक भूमि के लिए यूनिक आईडी तैयार करने का कार्य एक विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर में डिजिटल मैप और भूमि के कोऑर्डिनेट्स का उपयोग कर विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (Unique Land Parcel Identification Number) बनाई जा रही है। दिसंबर तक इस योजना को पूरी तरह से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके बाद राज्य के सभी गांवों की भूमि का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से उपलब्ध होगा।
यूनिक आईडी से क्या होंगी सुविधाएं:
1. **भूमि की पूरी कुंडली मिलेगी:** किसी भी भूमि के बारे में उसकी भौगोलिक स्थिति, मालिकाना हक और अन्य आवश्यक जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकेगी।
2. **भूमि विवाद होंगे कम:** यूनिक आईडी से भूमि के स्वामित्व और सीमा विवादों में कमी आएगी, क्योंकि यह आईडी भूमि की पुख्ता जानकारी प्रदान करेगी।
3. **डिजिटल मैपिंग से सटीक जानकारी:** भूमि की स्थिति, उसका आकार, और स्थान डिजिटल मैपिंग के जरिए स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा, जिससे भूमि विवादों को हल करने में मदद मिलेगी।
4. **खसरा-खतौनी देखने की जरूरत नहीं:** यूनिक आईडी लागू होने के बाद भूमि के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए खतौनी या अन्य दस्तावेज देखने की आवश्यकता नहीं होगी। बस यूनिक आईडी नंबर से ही सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी।
यह योजना न केवल राज्य की भूमि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएगी बल्कि इसे डिजिटल युग में भी एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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