Terrorist Attack: 14 माह और 9 आतंकी हमले, 18 सैन्यकर्मी बलिदान… 10 नागरिकों की हत्या, मारा न गया एक भी आतंकी
जम्मू-कश्मीर में पिछले 14 माह में 9 आतंकी हमले देखे गए हैं। इन हमलों में 18 सैन्यकर्मी के जान गई है, जबकि 10 नागरिकों की हत्या हुई है। लेकिन एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।
आतंकियों का जंगल से जिन्न की तरह बहार निकलना। चंद मिनटों में हमला करके , और फिर गायब हो जाना। पिछले एक वर्ष से आतंकी यही चाल चल रहे है, लेकिन एक बार भी इन तक सुरक्षाबल नहीं पहुंच पाई।पुछ के भाटादूड़ियां में पांच जवानों का बलिदान हुआ, राजोरी के कंडी में पांच जवानों पर आईईडी हमला देखा गया । पुंछ के डेरा गली में पांच जवान हमले में बलिदान हुए, राजोरी के शाहदरा शरीफ में सैन्यकर्मी के भाई की हत्या हुई, उधमपुर के बसंतगढ़ में वीडीजी सदस्य की हत्या हुई, पुंछ के सुरनकोट में वायुसेना पर हमले में एक जवान का बलिदान हुआ , रियासी, कठुआ के हीरानगर में एक जवान की जान गई और दूसरे ही तरफ डोडा में पुलिस नाके पर हमला देखा गया।सभी हमलों में एक बात समान देखी गई, आतंकी जंगल से निकलकर आए, 10 से 15 मिनट फायरिंग कर फरार हो गए। एक बात यह भी समान देखी गई है कि हमले के बाद एक बार भी दहशतगर्द पकड़ में नहीं आ पाए। पिछले 14 महीनों में नौ हमले हुए और इसमें 18 सैन्यकर्मी का बलिदान हुए।
दस आम नागरिकों की हत्या कर दी गई, लेकिन आतंकी एक भी नहीं मारा गया। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ सर्च ऑपरेशन तक आकर ही रुक जाती है तमाम खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों का तंत्र आतंकियों तक पहुंचने में लगा रहता है।लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाती।
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तमाम कोशिशों के बावजूद आतंकियों के सुरक्षित संचार नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां हरा नहीं कर पाईं। इस्तिथि हर दूसरे महीने आतंकियों ने हमला किया , राजोरी-पुंछ के जंगलों में सक्रिय आतंकी रियासी तक पहुंच भी गए, लेकिन इन तक सुरक्षाबल नहीं पहुंच पाई।
कुल मिलाकर देखा जाए तो इन आतंकियों का सक्रिय होना और हमलों को अंजाम देना खुफिया व सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ी चूक है ,पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने भी कहा हैं कि यह खुफिया तंत्र के स्तर पर चूक है। जब तक आतंकियों तक पहुंचकर उनको नहीं खतम करेंगे वे ऐसा की करते रहेंगे। उनका ऐसा ही प्रभाव रहेगा। लिहाजा पूरी ताकत झोंककर इनको खत्म करना ही पड़ेगा ।