यमुना वैली: आत्मनिर्भर संस्था की पहल से बनी दुनिया की पहली हर्बल वैली, जुड़ीं 1000 महिलाएं
उत्तराखंड की यमुना वैली में औषधीय पौधों की खेती ने विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में खास पहचान बनाई है। आत्मनिर्भर संस्था के नेतृत्व में, 29 गांवों की 1000 महिलाएं इस अभियान का हिस्सा बन चुकी हैं। इन महिलाओं ने न केवल हिमालयी जड़ी-बूटियों का संरक्षण किया है, बल्कि आर्थिक स्वावलंबन की नई मिसाल भी पेश की है।
संस्था के संस्थापक रंजीत चतुर्वेदी ने बताया कि यह पहल मई 2024 में बड़कोट से शुरू हुई थी। अब तक 62 औषधीय पौधों की खेती का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें अश्वगंधा और सर्पगंधा की बड़े पैमाने पर खेती हो रही है। सर्दियों के लिए 12 अन्य औषधीय पौधों का रोपण भी किया जा रहा है।
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यमुना वैली को विश्व की पहली हर्बल आयुर्वेदिक वैली बनाने का सपना साकार होता दिख रहा है। आयुर्वेद कांग्रेस में कई नामी कंपनियों ने यहां की जड़ी-बूटियां खरीदने में रुचि दिखाई है। यह मॉडल भविष्य में उत्तराखंड की 27 अन्य घाटियों में लागू करने की योजना है। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रही है, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त कर रही है।