Uttarakhand: पहली बार ट्रांसमीटर से डॉल्फिन की हरकतों पर नजर, विशेषज्ञ चार महीने से कर रहे थे काम
भारत में पहली बार डॉल्फिन की गतिविधियों और व्यवहार का अध्ययन करने के लिए सेटेलाइट आधारित रेडियो ट्रांसमीटर का उपयोग किया गया है। असम के कामरूप जिले में ब्रह्मपुत्र नदी में यह टैगिंग की गई, जिसे वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून और अन्य विशेषज्ञों की टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
डॉल्फिन पर अध्ययन के इस अनूठे प्रयास की शुरुआत 2021 में हुई थी, जब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गंगा, उसकी सहायक नदियों, ब्रह्मपुत्र, और व्यास नदी में डॉल्फिन की आबादी का आकलन किया। आठ हजार किलोमीटर तक नदियों का सर्वेक्षण बोट और अन्य माध्यमों से किया गया।
संस्थान की परियोजना प्रमुख, डॉ. विष्णु प्रिया के अनुसार, इस तकनीक से डॉल्फिन की गतिविधियों, प्रवास, और जीवनशैली को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। टैगिंग के दौरान स्थानीय मछुआरों, असम वन विभाग, और अरण्य संस्था का सहयोग भी महत्वपूर्ण रहा।
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यह अध्ययन न केवल डॉल्फिन संरक्षण के लिए बल्कि इनके निवास स्थान और पर्यावरण को समझने में भी मदद करेगा।