देवभूमि कि इस होनहार बेटी ने बचपन में ही खोया था पिता, अब कड़ी मेहनत से बन गई ISRO वैज्ञानिक।
उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि यह तो आप सभी जानते हैं कि उत्तराखंड में लड़कियां किसी से कम नहीं हैं। वह समय गया जब लड़कियों और महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका जाता था। बताया जा रहा है कि आज वह आसमान की ऊंचाइयों में उड़ रही हैं, सफलता के नए नए मुकाम हासिल कर रही हैं। आज हम आपको देवभूमि की एक ऐसी ही होनहार बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने इसरो में वैज्ञानिक बन कर देव भूमि का परचम पूरे विश्व में ऊंचा कर दिया है। हम बात कर रहे हैं श्रीनगर की बेटी नेहा नेगी की। स्नेहा का चयन इसरो (ISRO) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान में बतौर साइंटिस्ट हो गया है।
वहीं,नेहा का यह सफर आसान नहीं था। बचपन में ही उनके सिर के ऊपर से पिता का साया उठ गया था । मगर स्नेहा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्नेहा की मां मनोरमा नेगी श्रीकोट में आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं। वे अपनी बेटी स्नेहा की इस सफलता से गदगद हैं।उन्होंने बचपन से ही स्नेहा और उनके छोटे भाई की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी नहीं की।
बता दें कि श्रीनगर के श्रीकोट की रहने वाली स्नेहा नेगी मूल रूप से स्नेहा रुद्रप्रयाग जिले के सतेराखाल के सुप्री गांव की निवासी हैं।स्नेहा ने कक्षा 5 वीं तक कि पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर श्रीकोट गंगानाली से की। जबकि, कक्षा छठवीं में उनका चयन नवोदय विद्यालय सतुधार पौड़ी में हुआ जहां उन्होंने इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद इंजीनियरिंग में उनकी रूचि जागी और स्नेहा नेगी ने जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज घुडदौड़ी पौड़ी से बीटेक किया।
यह भी पढ़ें – *बदरीनाथ हाईवे पर लगे जाम में फंसे वाहन पर गिरा पहाड़ी से पत्थर, वाहन चालक की मौके पर मौत।*
आपको बता दें कि इसके बाद वे आईआईएससी बेंगलुरु से एमटेक कर रही हैं। इसी बीच स्नेहा ने 2021 में गेट एग्जाम (GATE Exam) ऑल इंडिया में 80वीं रैंक हासिल की थी और अब वो इसरो में वैज्ञानिक बनीं हैं। उनके वैज्ञानिक बनने के बाद से ही उनकी मां मनोरमा नेगी और परिवार के अन्य परिजनों के बीच में खुशी का माहौल पसर गया है। वहीं, मनोरमा नेगी ने बताया कि उनकी बेटी स्नेहा बचपन से ही मेहनती हैं और मेहनत के बल पर स्नेहा ने आज अपना रास्ता बनाया है।