पर्वतीय जिलों में शिक्षकों की कमी, नवनियुक्त 14 शिक्षक पद छोड़ चुके - Hindustan Prime
Uttarakhand

पर्वतीय जिलों में शिक्षकों की कमी, नवनियुक्त 14 शिक्षक पद छोड़ चुके

पर्वतीय जिलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति के बाद नवनियुक्त शिक्षकों का नौकरी छोड़ने का सिलसिला जारी है। जिन जिलों में इन अभ्यर्थियों ने खुद आवेदन किया था, वहां नियुक्ति मिलने के बावजूद वे सेवा देने से कतराते हैं। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान “कोदो-झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे” जैसे नारे प्रचलित थे, जिन्होंने राज्य गठन के लिए जन-जागृति पैदा की। हालांकि, समय के साथ पहाड़ी जिलों में नौकरी करने की युवाओं की रुचि घटती दिख रही है।

हरिद्वार, देहरादून और नैनीताल जैसे सुविधाजनक जिलों की अपेक्षा, दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में सेवा देने से बचने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सरकारी विद्यालयों में सहायक अध्यापक के 2,906 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। चार चरणों की काउंसलिंग के बाद अब तक 2,296 शिक्षकों का चयन हो चुका है, और अधिकांश को नियुक्ति पत्र भी सौंपे गए हैं। फिर भी, दुर्गम जिलों में सेवा के बजाय अभ्यर्थी सुविधाजनक स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं।

अपर शिक्षा निदेशक आरएल आर्य ने जानकारी दी कि कई जिलों में शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने के बाद इस्तीफा दे रहे हैं। रुद्रप्रयाग और पौड़ी जिलों में क्रमशः छह और आठ शिक्षकों ने नौकरी छोड़ी है, जबकि उत्तरकाशी में अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। अन्य जिलों से जानकारी जुटाई जा रही है। इस स्थिति ने शिक्षा विभाग के सामने दुर्गम जिलों में पद भरने की चुनौती खड़ी कर दी है।

यह भी पढ़ें :गुयाना: संसद के विशेष सत्र में पीएम मोदी का संबोधन, विदेश में संसद को संबोधित करने में सबसे आगे

युवाओं की सुविधाजनक जिलों में स्थानांतरण की प्राथमिकता से पर्वतीय क्षेत्रों के विकास और शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिसे दूर करने के लिए ठोस रणनीति की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *