National Games: पिता ने लिया गोल्ड लोन, बेटे ने जीता गोल्ड…अब राष्ट्रीय खेलों में करेगा कमाल
अर्पित, जो चमोली जिले की सीमांत घाटी नीति से देहरादून पढ़ने आए थे, ने वेल्फील्ड स्कूल में अपने दोस्त को टेबल टेनिस खेलते देखा। इस खेल में रुचि होने के कारण उन्होंने अपने पिता प्रेम हिंदवाल से अपनी इच्छा जाहिर की। प्रेम हिंदवाल, जो पीआरडी में तैनात थे, ने बेटे की रुचि को देखकर उसकी मदद करने का फैसला किया।
अर्पित के पास शुरुआत में रैकेट खरीदने के पैसे नहीं थे, तो उन्होंने स्कूल के एक सीनियर से 200 रुपये में पुराना रैकेट खरीदा। अपनी मेहनत और प्रतिभा से उन्होंने जल्द ही सभी का ध्यान खींचा। बेहतर प्रदर्शन के लिए अच्छे रैकेट और कोच की आवश्यकता थी। उनके पिता ने रिश्तेदारों से पैसे जुटाकर 8000 रुपये का नया रैकेट खरीदा, लेकिन कोचिंग की 3000 रुपये मासिक फीस देना मुश्किल हो गया।
इस पर प्रशिक्षक विपिन प्रिंस ने एक महीने का अभ्यास देखने के बाद अर्पित को निशुल्क कोचिंग देने का निर्णय लिया। इसके बाद, अर्पित को 16,000 रुपये का उच्च गुणवत्ता वाला रैकेट चाहिए था। पिता ने गोल्ड लोन लेकर वह रैकेट खरीदा। उसी रैकेट से अर्पित ने स्वर्ण पदक जीतकर पिता का सपना पूरा किया।
आगे बढ़ते हुए उन्होंने कई प्रतियोगिताएं जीतीं, लेकिन उनका रैकेट खराब हो गया। परिवार के पास नया रैकेट खरीदने का साधन नहीं था, क्योंकि घर का सोना पहले से ही गिरवी था। तब नीति-माणा घाटी जनजाति कल्याण समिति ने 30,000 रुपये जुटाकर उन्हें नया रैकेट दिलाया। अर्पित ने अपने संघर्ष और मेहनत से यह साबित किया कि दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।