उत्तराखंड

जानिए किसकी लापरवाही से गई 16 लोगों की जान, चमोली हादसे में हुआ यह बड़ा खुलासा।

उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के चमोली में नमामि गंगे Project में हुए हादसे से हर कोई सदमे में है। एक ही पल में 16 लोग मौत के मुंह में समा गए। जिसने भी यह हादसा देखा, उसका दिल दहल गया। मगर बड़ा सवाल यह है कि यह हादसा आखिर क्यों हुआ? इसकी वजह बड़ी लापरवाही है।जिस एसटीपी में करंट लगने से बड़ा हादसा हुआ था उसका पूरा ढांचा इंजीनियरों ने लोहे और टीन का खड़ा कर दिया। जबकि जिस जगह पर पूरा काम ही बिजली के उपकरणों का है, बताया जा रहा है कि वहां विशेषज्ञों की नजर में लोहे और टीन से परहेज किया जाना चाहिए था।

बताया जा रहा है कि टीन की बजाय ईंट की दीवारें खड़ी की जानी चाहिए थी। ऐसे में एसटीपी के पूरे डिजाइन और निर्माण पर ही सवाल उठ रहे हैं। 87 लाख का बजट नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के तहत जल निगम को मिला। इसी के साथ निर्माण का जिम्मा Private कंपनी को दिया गया, लेकिन डिजाइन और निर्माण की शर्तें जल निगम ने ही तय की।

वहीं, जल निगम के स्तर पर बड़ी लापरवाही हुई। एसटीपी का जो शेड तैयार किया है, उसकी छत से लेकर दीवारें तक टीन की हैं। जो सीढ़ी और रेलिंग हैं, वो भी पूरी तरह लोहे की हैं। इसी लोहे की शेड से सटा कर बिजली की तारें गुजार दी गईं। इन बिजली की तारों को प्लास्टिक का प्रोटेक्शन दिया गया था। यही बिजली की केबिल टीन की दीवारों से सटी हुई हैं। यूपीसीएल के निदेशक ऑपरेशन एमएल प्रसाद ने बताया कि बरसात में टीन से सट कर यदि केबिल गुजरती है, तो इससे करंट का खतरा बढ़ जाता है।

आपको बता दें कि ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 87 लाख का बजट उपलब्ध होने के बावजूद ईंट की जगह टीन का शेड खड़ा क्यों किया गया।जब एसटीपी परिसर में निर्माण में ईंट का इस्तेमाल हुआ ही नहीं, तो इतना बजट कहां गया। वहीं जल निगम के एमडी एससी पंत का कहना है कि जल निगम की टीम पहुंच गई है। chamoli current incident की जल निगम के स्तर पर भी पड़ताल की जा रही है। किसी भी प्रकार की लापरवाही को बख्शा नहीं जाएगा।

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