Demo

विधानसभा में बैकडोर भर्तियों की जांच के लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 2016 से पहले की भर्तियों को भी नियम के खिलाफ पाया है । इस मामले में अब इन कर्मचारियों के नियमित हो जाने के कारण उनके सम्बन्ध में विधि के अनुसार राय लेने की सिफारिश भी की गई है।

2016 से पहले नियुक्त कर्मचारियों के खिलाफ होगी विधिक कार्रवाई : रितु खंडूडी
आपको बता दें की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अब विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी है,जिसके आधार पर 2016 के बाद गलत तरीके से लगाए गए 250 कर्मचारियों को हटाया गया है। जबकि, 2016 से पहले नियुक्त हुए कर्मचारियों के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष ने विधिक राय लेने की बात कही है। लेकिन, विधानसभा सूत्रों के मुताबिक यह खबर सामने आ रही है की विस भर्तियों की जांच करने वाली कमेटी ने 2000 से 2022 तक नियुक्त हुए सभी कर्मचारियों की भर्ती की जांच की है और सभी भर्तियों को नियम के खिलाफ पाया गया है। सूत्रों के द्वारा बताया गया कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सभी भर्तियों को नियमों के खिलाफ होने की सिफारिश की है।

विधानसभा बैक डोर भर्ती और अंकिता हत्याकांड मामले को लेकर राज्यपाल से मिले सीएम धामी और विस अध्यक्ष
बता दें कि विधानसभा में बैकडोर भर्ती और अंकिता हत्याकांड मामले को लेकर काफी गरमा गरमी के बीच शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूडी और सीएम पुष्कर सिंह धामी राज्यपाल गुरमीत सिंह से मिले थे।सीएम शनिवार की दोपहर 1:30 बजे राजभवन पहुंचे।जहाँ राज्यपाल और सीएम में उत्तराखंड की योजनाओं और कानून व्यवस्था एवं विधानसभा में अनियमित नियुक्तियों पर चर्चा हुई।

वही सीएम बोले विधानसभा में नियुक्तियों की जांच को गठित कमेटी की संस्तुति सरकार ने तत्काल स्वीकार कर ली थी सीएम ने राज्यपाल को अंकिता हत्याकांड में हो रही कार्रवाई की भी जानकारी दी राज्यपाल ने अंकिता की हत्या पर दुख जताया। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने भी राज्यपाल से मिलकर विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों को निरस्त करने को लेकर जानकारी दी थी। खंडूड़ी ने बैक डोर भर्तियों को लेकर जांच रिपोर्ट में सामने आए तथ्य राज्यपाल के सामने रखे थे।

बता दें कि विशेषज्ञ कमेटी ने वर्ष 2016 से पहले नियुक्त कर्मचारियों के खिलाफ विधिक राय की भी सिफारिश की है इसके पीछे जो मुखिया वजह है वह यह है कि कमेटी के सभी सदस्य पूर्व नौकरशाह है जो कानूनी मामलों के जानकार नहीं है। लिहाजा कमेटी ने केवल नियुक्तियों के दौरान अपनाई प्रक्रिया की जांच रिपोर्ट दी है। नियुक्तियों के बाद कर्मचारियों के नियमित होने का मामला उमा देवी बनाम राज्य सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ की ओर से दिए फैसले के आलोक में देखने की जरूरत है। इन भर्तियों पर निर्णय लेने से पहले विधिक राय लेने की सिफारिश की गई है।

यह भी पढ़े-भारत -ऑस्ट्रेलिया के बीच निर्णायक मैच आज, इन दो खिलाडियों की खराब फॉर्म बनी भारत के लिए चिंता का विषय

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल के कार्यकाल में 8 कर्मचारियों की हुई थी नियुक्ति
कमेटी अध्यक्ष 19 सितंबर को ही इस मामले में जांच रिपोर्ट दे चुके हैं और सूत्रों के मुताबिक भर्तियों के बारे में जांच पूरी कर ली गई है और अब इस मामले में किसी भी बिंदु पर जांच शेष नहीं है। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल ने अपने कार्यकाल में 8 कर्मचारियों को 2 साल की नियुक्ति के बाद ही नियमित कर दिया था वर्ष 2012 में इन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई और वर्ष 2014 में इनको नियमित कर दिया गया।इन कर्मचारियों के संदर्भ में भी जांच कमेटी ने विधिक परीक्षण की सिफारिश की है |

Leave A Reply