हाथरस हादसे की आंखों देखी : जो दलदल में गिरा वह उठ नहीं पाया, मुंह-नाक में घुस गया था कीचड़
राहुल ने बताया हैं कि महिलाओं और बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। उनकी सांसें थम गई थीं। हाथों से उनकी छाती-पीठ पर खूब दबाव दिया। दो-तीन महिलाओं के भी मुंह में मुंह लगाकर सांसें फूंकी, फिर भी उनकी जिंदगी न बचा सकी गयी ।सिकंदराराऊ के निवासी 30 वर्षीय का राहुल उन लोगों में शामिल हैं, जो सड़क किनारे गड्ढे में गिरने वाले श्रद्धालुओं को निकालने में मददगार रहे।उन्होंने बताया हैं कि महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। उनकी सांसें थम गई थीं। हाथों से उनकी छाती-पीठ पर खूब दबाव दिया गया । दो-तीन महिलाओं के मुंह में मुंह लगाकर सांसें फूंकी, फिर भी उनकी जिंदगी न बच सकी।यह बताते हुए कुछ सेकेंड के लिए वह भी कांपने लगे। पास खड़े लोगों ने उनके कंधे पर हाथ रखकर हौसला बढ़ाया। राहुल ने बताया कि पहली बार वह बाबा का प्रवचन सुनने पहुंचे थे। कानपुर की तरफ जीटी रोड पर करीब चार सौ मीटर थे जब भगदड़ मच गयी । लोग सड़क के एक ओर गिरने लगे। तेज शोर मचने लगा। इस पर वह भागकर पास पहुंचे। बारिश की वजह से सड़क की पटरी से नीचे खेत से पहले गड्ढा है। भीड़ के दबाव में सड़क किनारे खड़े लोग उसी में गिर रहे थे।वहां लोग उन्हें निकाल रहे थे। तो वह भी भीड़ में लोगों को पानी-कीचड़से भरे गड्ढे से निकालने में जुट गए। 224-25 महिलाओं-बच्चों को कीचड़ से निकालकर आगे खेत में लिटाया। कुछ माहिलाओं-बच्चों की छाती-पीठ पर हाथों से खूब दबाव डाला ताकि सांसें लौट पाए ।
कुछ लोगों के कहने पर तो मुंह से मुंह लगाकर खूब सांसें भरीं लेकिन उन महिलाओं-बच्चों की सांसें नहीं लौटीं। जो मर चुके थे, उन्हें करीब डेढ़ सौ मीटर दूर सड़क किनारे पहुंचाते रहे। राहुल ने कहा कि शायद ईश्वर ने इस मदद के लिए उन्हें भी चुना। कोई जिंदगी बच जाए तो यही सबसे बड़ा पुण्य हो जाएगा।अपनों को सुरक्षित किया, फिर साथियों की भी करते रहे तलाशहादसे के बाद अधिकतर लोग सबसे पहले अपनों को सुरक्षित करते रहे। कोई अपने वाहन में बिठाता रहा तो कोई सड़क किनारे सुरक्षित स्थान पर एक-दूसरे को रोकता रहा। इसके बाद वह अपने जिले-गांव से आए लोगों की तलाश में घटनास्थल से लेकर मौके पर चारों ओर भटकते रहे।लखीमपुर खीरी जनपद के प्रतापपुर से तीन बसों में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के अनुयायी पहुंचे थे। रामकिशोर भी इन्हीं में शामिल थे।
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उन्होंने बताया कि उनके साथ के लोग दो बसों में आए थे। दोनों बसों के सभी लोग सुरक्षित थे। हादसे के बाद सबसे पहले उनके यहां के लोग सत्संग स्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर सड़क किनारे खड़ी अपनी-अपनी बसों में जाकर बैठ गए। इसके बाद वह अपने जनपद से आई तीसरी बस में शामिल लोगों की जानकारी करते इधर-उधर घूम रहे थे।कानपुर देहात के पतारा से एक वैन में नौ लोग भोले बाबा के सत्संग में पहुंचे थे। इनमें से एक बुजुर्ग हादसे के बाद वह सत्संग स्थल के मुख्य गेट के सामने सड़क किनारे बैठे थे। बताया कि काफी देर से वह अपने साथ आए लोगों को तलाश कर रहे हैं।