देहरादून: भू-कानून और मूल निवास की मांग पर अनशन की कोशिश, पुलिस ने रोका, शहीद स्मारक पर सुरक्षा कड़ी
उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर भूख हड़ताल की तैयारी में जुटे मोहित डिमरी को पुलिस ने रोक दिया। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित ने शहीद स्मारक पर आमरण अनशन का ऐलान किया था, लेकिन पुलिस ने स्मारक के गेट पर ताला लगाकर वहां पहुंचने से उन्हें रोक दिया। इसके बावजूद, मोहित ने शहीद स्मारक के गेट के बाहर ही भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया है।
संघर्ष समिति और विभिन्न संगठनों ने भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द करने और निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की है। समिति के अनुसार, सरकार को 2018 के बाद हुए भूमि कानून संशोधनों को तत्काल रद्द करना चाहिए और भूमि कानून का नया मसौदा जनता के सामने लाना चाहिए। साथ ही, भूमि कानून की धारा-2 को हटाने की मांग की गई है, जिसके कारण कृषि भूमि नगरीय क्षेत्रों में समाहित हो रही है, और 50 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि प्रभावित हो चुकी है।
समिति ने यह भी मांग की है कि मूल निवासियों को प्राथमिकता दी जाए और 90% सरकारी नौकरियां और योजनाएं मूल निवासियों के लिए आरक्षित की जाएं। इसके अलावा, 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीदने वाले व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग भी रखी गई है।
महिला मंच, राज्य आंदोलनकारी मंच और अन्य संगठनों ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है। महिला मंच की उपाध्यक्ष निर्मला बिष्ट ने कहा कि राज्य निर्माण में महिलाओं के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। वहीं, वरिष्ठ आंदोलनकारी मोहन सिंह रावत ने कहा कि राज्य निर्माण के लिए 42 शहीदों ने अपना बलिदान दिया, लेकिन वर्तमान में भूमि कानूनों में संशोधन के माध्यम से मूल निवासियों के अधिकार छीन लिए गए हैं।
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इस आंदोलन को कई प्रमुख संगठनों और समूहों का समर्थन प्राप्त है, जिनमें पूर्व सैनिक संगठन, धाद, देवभूमि संगठन, गढ़वाल सभा, और अन्य शामिल हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।