उत्तराखंड: गर्भवती महिलाओं के लिए राहत, अब प्रसव पूर्व जांच के लिए मुफ्त परिवहन सुविधा
प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब उन्हें प्रसव पूर्व जांच के लिए सरकारी अस्पताल तक आने-जाने के लिए “खुशियों की सवारी” नामक निशुल्क परिवहन सुविधा उपलब्ध होगी। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए हैं, ताकि विशेष रूप से पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को भी इसका लाभ मिल सके।
बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्य सचिव ने एनीमिया मेगा अभियान को लेकर जिलाधिकारियों के साथ चर्चा की। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य में 15 से 49 वर्ष की 46.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 50.4 प्रतिशत है। इस समस्या से निपटने के लिए एनएचएम द्वारा तैयार कार्ययोजना को महिला कल्याण, बाल विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा।
मुख्य सचिव ने यह भी निर्देश दिए कि सभी गर्भवतियों की एनीमिया जांच प्रारंभिक चरण में ही की जाए। इसके अलावा, स्कूलों में छात्राओं के हीमोग्लोबिन स्तर की हर महीने जांच होगी, जिसकी रिपोर्ट उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज की जाएगी। यह जिम्मेदारी कक्षा शिक्षकों को सौंपी गई है, जिन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का सहयोग मिलेगा। एनीमिया प्रभावित छात्राओं का उपचार और उनकी निगरानी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा की जाएगी।
साथ ही, छात्राओं के हीमोग्लोबिन रिपोर्ट कार्ड की जानकारी उनके अभिभावकों को भी दी जाएगी। बैठक में मुख्य सचिव ने “टीबी मुक्त उत्तराखंड” के लक्ष्य को शीघ्र पूरा करने के लिए भी सभी जिलाधिकारियों को गंभीरता से कार्य करने के निर्देश दिए। इस बैठक में सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, अपर सचिव स्वाति भदौरिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।