Uttarakhand

उत्तराखंड में साइबर सुरक्षा की बड़ी चुनौती: 72 वेबसाइटें असुरक्षित, विभागों में सतर्कता की कमी

उत्तराखंड में आईटी विकास के बावजूद साइबर हमलों से सुरक्षा अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। हाल ही में सिक्योरिटी ऑडिट के दौरान 72 सरकारी वेबसाइटें असुरक्षित पाई गईं, जिससे राज्य की साइबर सुरक्षा की कमजोर स्थिति उजागर हो गई है। हालांकि राज्य में आईटी के क्षेत्र में प्रगति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन साइबर सुरक्षा के मोर्चे पर पर्याप्त सतर्कता नहीं बरती जा रही है।

कोषागार का डाटा गायब होने की घटना

जुलाई 2023 में कोषागार निदेशालय का डाटा गायब होने की घटना ने इस खतरे को और स्पष्ट कर दिया। राज्य डाटा सेंटर से कोषागार निदेशालय के 3.5 लाख कर्मचारियों, पेंशनरों और आश्रितों का 22 दिन का डाटा अचानक गायब हो गया था। आईटीडीए के विशेषज्ञ तीन दिनों तक इस डाटा को रिकवर करने का प्रयास करते रहे, लेकिन सफलता नहीं मिली। हालांकि, कोषागार निदेशालय के पास इसका बैकअप था, जिससे यह डेटा पुनः प्राप्त हो सका। इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि डाटा बैकअप और सुरक्षा की दृष्टि से कितनी तैयारी आवश्यक है।

सिक्योरिटी ऑडिट में खुलासा: 72 वेबसाइटें असुरक्षित

2024 में आईटीडीए द्वारा किए गए सिक्योरिटी ऑडिट में 72 सरकारी वेबसाइटों को साइबर हमलों के प्रति असुरक्षित पाया गया। ‘अमर उजाला’ ने भी इस संबंध में राज्य को पहले ही चेताया था, लेकिन इसके बावजूद संबंधित विभागों ने आवश्यक कदम नहीं उठाए। आईटीडीए के विशेषज्ञ बार-बार सभी विभागों को साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करने और अपने डाटा को सुरक्षित रखने के लिए दूसरे डाटा सेंटरों में भी स्टोर करने की सलाह देते रहे हैं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया।

साइबर हमलों की चेतावनी को नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी

आईटी विशेषज्ञ लगातार विभागों को आगाह कर रहे हैं कि साइबर हमलों का खतरा बना हुआ है। विभागों को अपने डाटा की सुरक्षा के लिए और अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। विभागों की लापरवाही के चलते साइबर हमलों की संभावना बढ़ती जा रही है, और इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक बड़ा साइबर हमला होने की स्थिति में राज्य को डेटा पुनर्प्राप्ति और साइबर सुरक्षा बहाल करने में काफी समय लग सकता है।

आगे की दिशा

उत्तराखंड सरकार को जल्द से जल्द साइबर सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। विभागों को नियमित रूप से सिक्योरिटी ऑडिट कराना चाहिए और डाटा बैकअप सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, डाटा को सुरक्षित रखने के लिए इसे राज्य डाटा सेंटर के अलावा अन्य सुरक्षित केंद्रों में भी स्टोर करने की योजना बनानी चाहिए। अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में यह समस्या और गंभीर हो सकती है, जिसका असर सरकारी विभागों और आम जनता पर पड़ सकता है।

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