उत्तराखंड: वाहनों की मॉडल सीमा पर फैसला स्थगित, रैपिडो सहित चार को एग्रीगेटर लाइसेंस की मंजूरी
उत्तराखंड राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) की बैठक में वाहनों की मॉडल सीमा को लेकर फैसला फिलहाल टाल दिया गया है, जबकि रैपिडो समेत चार कंपनियों को एग्रीगेटर लाइसेंस देने पर सहमति बन गई है। यह बैठक मंगलवार को परिवहन आयुक्त और सचिव बृजेश कुमार संत की अध्यक्षता में हुई, जिसमें परिवहन कारोबारियों का विरोध भी देखने को मिला।
वाहनों की मॉडल सीमा पर विवाद
बैठक में वाहनों की मॉडल सीमा, यानी परमिट की अवधि पूरी करने के बाद वाहन हटाने की समयसीमा पर चर्चा हुई। पिछले साल एसटीए ने एक समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता उप परिवहन आयुक्त दिनेश चंद्र पठोई कर रहे थे। समिति ने सिफारिश की थी कि पर्वतीय क्षेत्रों में वाहनों की मॉडल सीमा 15 वर्ष और मैदानी इलाकों में 18 वर्ष होनी चाहिए। टैक्सी और मैक्सी कैब के लिए पर्वतीय मार्गों पर यह सीमा 12 साल की गई थी, लेकिन स्वस्थता प्रमाणपत्र के आधार पर इसे तीन साल तक बढ़ाने की सिफारिश भी की गई थी। हालांकि, इस प्रस्ताव पर परिवहन कारोबारियों ने सख्त आपत्ति जताई। इस आपत्ति को देखते हुए परिवहन आयुक्त बृजेश कुमार संत ने समिति को कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। फिलहाल, वाहनों की मॉडल सीमा पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका और यह मामला लटक गया है।
रैपिडो और अन्य को मिला एग्रीगेटर लाइसेंस
वहीं, रैपिडो सहित पांच कंपनियों को एग्रीगेटर लाइसेंस देने पर सहमति बनी है। हल्द्वानी के दीप चंद्र पांडे ने 200 एंबुलेंस और 500 तिपहिया वाहनों के लिए एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इसके अलावा, दोपहिया सेवा प्रदाता रैपिडो और रूपकुंड पर्यटन विकास समिति, ऋषिकेश के वेदांश पांडे ने भी लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। हालांकि, परिवहन कारोबारियों ने इन आवेदनों का विरोध किया। मसूरी यूनियन के सुंदर सिंह पंवार ने इसे टैक्सी चालकों के हितों पर चोट करार दिया, जबकि देहरादून महानगर सिटी बस सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने भी इसका विरोध किया। इसके बावजूद एसटीए ने प्रतिस्पर्धा के फायदे गिनाते हुए इन कंपनियों को लाइसेंस जारी करने का फैसला किया। एसटीए का तर्क था कि बाजार में प्रतिस्पर्धा उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी साबित होगी।
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