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उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के समय देहरादून के प्रमुख कारसेवकों में विजय स्नेही का भी नाम है। उस वक्त उन्हें घर तो छोड़ना ही पड़ा, जेल की हवा भी खानी पड़ी। जब वह जेल में थे तो उन्हें अपनी मां की मृत्यु का समाचार मिला। वह मां की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके थे इसका उन्हें जितना मलाल है उतना ही राममंदिर बनने से आनंद भी है।

बताया जा रहा है कि स्नेही वर्ष 1990 की यादें ताजा कर रहे हैं। उस वक्त राम जन्मभूमि आंदोलन चरम पर था। स्नेही देहरादून के उन चुनिंदा लोगों में शामिल रहे जिन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को न सिर्फ अपनी आंखों से देखा बल्कि अपने आराध्य को स्थान दिलाने की उस जंग में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। स्नेही को श्रीराम कार सेवा समिति के दून नगर संयोजक बनाया गया था। आंदोलन के समय वह नौ दिन तक टिहरी जेल में बंद रहे थे।

वहीं, देहरादून में उन्होंने अन्य लोगों के साथ मिलकर सत्याग्रह किया। झंडेजी के आसपास सत्याग्रह करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी। बताया कि तब पुलिस कोतवाली लेकर आई। वहां से रेसकोर्स और फिर गाड़ी में बिठाकर टिहरी जेल लेकर गई थी।

इसी के साथ विजय स्नेही ने बताया कि राम जन्मभूमि के आंदोलन के लिए उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। इसके बाद वह पार्क रोड पर रह रहे थे। वहीं रहकर उन्होंने आंदोलन में भाग लिया। बताया कि इसके बाद जुलूस निकालने के लिए सैकड़ों रामभक्त एकत्र हुए। लेकिन, उन्हें बड़़ी संख्या में पुलिसबल रोकने का प्रयास करता रहा। इसके बाद रामजी की तस्वीर को कंधे पर रखकर सैकड़ों रामभक्त निकल पड़े। रामभक्तों की संख्या काफी होने के चलते पुलिस जुलूस को नहीं रोक सकी।

विजय स्नेही द्वारा बताया जा रहा है कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान जब वह दून में आंदोलन कर रहे थे तब पुलिस घर आकर परिवारजनों को परेशान करती थी। वहीं, तब पुलिस से बचने के लिए वह वेश बदलकर शहर में घूमते रहते थे।

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