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उत्तराखंड के जंगलों में बीते 24 घंटे में आग लगने की 43 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। इसमें कुमाऊं के जंगलों में 33 जगहों पर आग लगने की घटनाएं हुई हैं। आठ घटनाएं गढ़वाल मंडल और दो वन्यजीव क्षेत्र में हुई हैं।24 घंटे में वनाग्नि की 43 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। इसमें कुमाऊं के जंगलों में 33 जगहों पर आग लगने की घटनाएं हुई हैं। आठ घटनाएं गढ़वाल मंडल और दो वन्यजीव क्षेत्र में हुई हैं। इन घटनाओं में राज्य में करीब 63 हेक्टेअर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है।वन संरक्षक पश्चिम वृत्त विनय भार्गव ने बताया कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के किशनपुर रेंज, रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज में टीम ने वनाग्नि पर काबू पाया। फतेहपुर में टीम दो किलोमीटर तक पैदल भी चली। इसी तरह हल्द्वानी वन प्रभाग के अंतर्गत डांडा रेंज में आग बुझाने के लिए टीम आठ किमी पैदल गई। वहीं, पंचायत राज विभाग के अधिकारियों के अनुसार सामुदायिक सहभागिता को सुनिश्चित करने के क्रम में डीएम के निर्देश पर विभिन्न ग्राम सभा स्तर पर बैठक कर सार्वजनिक तौर पर कूड़े को जलाने पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पारित किए जा रहे हैं।इन नंबरों पर दे सकते हैं सूचनावनाधिकारियों के अनुसार जंगल में आग की सूचना टोल फ्री नंबर 18001804141, आपदा कंट्रोल रूम 05942-231179, पश्चिम वृत्त 05946-220003 और दृक्षिण वृत्त में 05946-235452 नंबर पर दे सकते हैं।बेतालघाट ब्लॉक के कोसी रेंज के जंगल में बृहस्पतिवार को अचानक आग लग गई। दोपहर बाद तेज हवाओं और चीड़ के पेड़ों से गिरे पिरूल से आग तेजी से जंगल में फैल गई। इससे वन संपदा को नुकसान पहुंचा हैं। जंगल में लगी आग के चलते आसपास के क्षेत्रों में धुआं फैलता रहा। देर शाम तक जंगल में लगी आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। इधर, भवाली रेंज के जंगल में भी बृहस्पतिवार को आग लगी रही। वन कर्मियों और स्थानीय लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। वन विभाग ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी के प्रशिक्षु रेंजरों को वनाग्नि नियंत्रण से जुड़ी जानकारी देने और सहयोग लेने का फैसला किया है। वन संरक्षक स्तर के अधिकारियों के निर्देशन में 96 प्रशिक्षु रेंजर को नैनीताल वन प्रभाग समेत दूसरी रेंज में वनों की आग पर काबू पाने के लिए मदद को भेजा जाएगा। हल्द्वानी स्थित फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी में मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडू, यूपी, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के 96 रेंजर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इन रेंजरों को अब तक वनाग्नि को लेकर क्लास रूम में जानकारी दी जाती है। पर अब उन्हें वनों की आग को नियंत्रित करने के लिए जंगलात की कार्यप्रणाली की जानकारी देने के साथ सहयोग लेने का फैसला किया गया है। इसी क्रम में पहले रेंजरों को वनाग्नि से जुड़ी सैद्धांतिक जानकारी दी गई है। इसके बाद प्रशिक्षणरत रेंजरों को पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र में जंगल की आग बुझाने के कार्य में जुटे वन कर्मियों को सहयोग के लिए भेजा जाएगा। अकादमी निदेशक डॉ. तेजस्विनी पाटिल का कहना है कि इन वनकर्मियों को वनाग्नि नियंत्रण के लिए ग्राउंड लेवल पर कार्य करने की जानकारी मिलेगी। 57 प्रशिक्षु रेंजर को पर्वतीय और 39 को मैदानी क्षेत्र में भेजा जाएगा। यह दोनों टीम वन संरक्षक टीआर बीजूलाल और नीतिशमणि त्रिपाठी के निर्देशन में जाएगी।वन विभाग को दो सौ से अधिक वन दरोगा मिले हैं। इन वन दरोगा का फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकादमी समेत अन्य जगहों पर एक अप्रैल से प्रशिक्षण शुरू होना था।

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अकादमी निदेशक डॉ. तेजस्विनी पाटिल कहती हैं कि फायर सीजन के कारण वन दरोगा का प्रशिक्षण स्थगित किया गया है। यह वन दरोगा अपने कार्यस्थल पर वनाग्नि नियंत्रण में मदद कर रहे हैं। अब प्रशिक्षण जून से शुरू करने की तैयारी है।

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