सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि उस व्यक्ति को 25 लाख रुपये का दंडात्मक मुआवजा दिया जाए, जिसका घर अवैध रूप से ध्वस्त कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने सड़क चौड़ीकरण के नाम पर घरों को अवैध रूप से गिराने के मामले में राज्य के अधिकारियों पर कड़ी फटकार लगाई है, इस कार्रवाई को अत्यधिक कठोर और गैरकानूनी बताया है।
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मामला 2019 का है, जब उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में सड़क विस्तार के लिए अधिकारियों ने एक मकान को बिना उचित प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि “रातों-रात बुलडोजर लेकर किसी का मकान गिराना स्वीकार्य नहीं है।”