उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार ने वरुणावत पर्वत पर हाल ही में हुए भूस्खलन की स्थिति का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि वहां अभी भी मलबा और गिरे हुए पेड़ों में पत्थर फंसे हुए हैं, जो बारिश के दौरान नीचे आ सकते हैं। हालांकि, पूर्व में लगाई गई लोहे की रेलिंग इन वस्तुओं को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने में सक्षम है। फिर भी, सावधानी बरतने की जरूरत है।
डॉ. सरकार ने कहा कि भूस्खलन का क्षेत्र छोटा है और केवल एक या दो मीटर मलबा गिरा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सुरक्षा के लिए रेलिंग की ऊंचाई बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि किसी भी संभावित खतरे से बचा जा सके। उन्होंने विशेष रूप से शाम के समय ऊपर के रास्ते पर आवाजाही से परहेज करने की सलाह दी।
डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने भी वर्ष 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन के बाद लगाए गए लोहे की रेलिंग का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया है। इसके तहत, रेलिंग की लंबाई बढ़ाई जाएगी ताकि भविष्य में किसी भी संभावित मलबे से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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अंत में, डॉ. शांतनु सरकार ने बताया कि वरुणावत पर्वत की मैपिंग की जाएगी, और इसके लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान से भी सहायता ली जाएगी, ताकि भविष्य में किसी भी आपदा की पूर्व-भविष्यवाणी की जा सके।