भारतीय नौसेना की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने वाली है, खासकर चीन की हिंद महासागर में बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए। हाल ही में भारत ने अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का समझौता किया है, जिससे उसकी सैन्य और निगरानी क्षमताएं और मजबूत होंगी। यह सौदा 32 हजार करोड़ रुपये का है और इसके तहत भारतीय नौसेना को 15 प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे, जबकि वायुसेना और थलसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे।

इस समझौते पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, और यह सौदा भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग का प्रतीक है। प्रीडेटर ड्रोन की खासियत यह है कि यह 40 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है और 40 घंटे तक लगातार उड़ सकता है। यह ड्रोन निगरानी के साथ-साथ सटीक हमलों के लिए भी बेहतरीन है। इसे विभिन्न अभियानों जैसे कि खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन, पनडुब्बी रोधी युद्ध, और लंबी दूरी की निगरानी में उपयोग किया जा सकता है।

यह सौदा प्रधानमंत्री मोदी के पिछले साल के अमेरिका दौरे के दौरान घोषित किया गया था और इसे हाल ही में रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार, एमक्यू-9बी ड्रोन मिलने से भारतीय नौसेना की हिंद महासागर में निगरानी और सामरिक क्षमताओं में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।

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