कार्तिक पूर्णिमा को पुराणों में स्नान, व्रत, और दान के दृष्टिकोण से मोक्ष प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण दिन माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु के पहले अवतार का प्रतीक है और इसे पूरे देश में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर अयोध्या और वाराणसी जैसे धार्मिक नगरों में लाखों श्रद्धालु गंगा और सरयू जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह से श्रद्धालुओं का जमावड़ा सरयू नदी के घाटों पर देखने को मिलता है। कई स्थानों पर मेले का आयोजन भी होता है और मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए लंबी कतारें लगती हैं। इसी तरह वाराणसी में भी गंगा घाट पर भारी भीड़ होती है। प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है, जिसमें ड्रोन और सादी वर्दी में तैनात सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान मुहूर्त 15 नवंबर की सुबह से शुरू होकर 16 नवंबर की सुबह तक चलता है। इसी दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान का महत्व माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

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इस दिन भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर असुर का संहार भी हुआ था, और सिख धर्म में इसे गुरु नानक देव के जन्मदिवस, यानी प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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