बिहार के सहरसा शहर के नेताजी सुभाष चौक (रिफ्यूजी कॉलोनी चौक) पर काली पूजा की भव्य तैयारियां जारी हैं। यहां माँ काली की प्रतिमा को अंतिम रूप देने के साथ ही पंडाल का निर्माण भी अंतिम चरण में है। इस बार भी चार दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है, जो 31 अक्तूबर की मध्य रात्रि प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से शुरू होकर तीन नवंबर को विसर्जन के साथ संपन्न होगा।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस पूजा का आरंभ 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान हुआ था, जब बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों ने भारत की जीत और बांग्लादेश निर्माण के लिए प्रार्थना की थी। इसके बाद से हर वर्ष यहां काली पूजा का आयोजन एक परंपरा बन गया है।मंदिर कमेटी के सदस्यों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आयोजन के दौरान जाम की समस्या से बचने के लिए शर्मा चौक और नेताजी सुभाष चौक के पास से नो-एंट्री व्यवस्था लागू की जाए, ताकि यातायात सुचारू रह सके।

सहरसा के नया बाजार में भी काली पूजा का आयोजन बड़ी धूमधाम से होता है। यहां पर माँ काली का एक मंदिर स्थित है, जिसे पहले निर्जन स्थल माना जाता था और जहां शवों का दाह संस्कार होता था। मान्यता है कि स्वर्गीय चंदू सिंह ने यहां रहस्यमयी घटनाओं के चलते देवी शक्ति के संकेत प्राप्त किए, जिसके बाद उन्होंने मां काली का मंदिर बनवाने का संकल्प लिया। मंदिर बनने के बाद, स्थानीय लोगों में भय की जगह श्रद्धा का भाव विकसित हुआ।

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अब यहां हर वर्ष काली पूजा महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग बड़ी श्रद्धा और भक्ति से सम्मिलित होते हैं। इस वर्ष का आयोजन हन्नी चौधरी की अध्यक्षता और कौशल क्रांतिकारी की सचिवता में हो रहा है।

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