काशी में धनतेरस के अवसर पर मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया, जो 354 दिन बाद फिर से भक्तों के लिए सुलभ हुआ। इस दौरान मंदिर प्रशासन ने भक्तों में प्रसाद के रूप में करीब 6.50 लाख सिक्के बांटे, जिनमें चांदी, पीतल, और तांबे के सिक्कों के साथ नवरत्न भी शामिल थे। इस महोत्सव के पहले दिन ही करीब 2.65 लाख श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए, और मंदिर परिसर में चार किलोमीटर से भी अधिक लंबी कतारें देखने को मिलीं।
धर्म नगरी काशी में स्थित अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट सुबह तीन बजे खोले गए। मंदिर के महंत शंकर पुरी महराज ने मां अन्नपूर्णा का स्वर्ण शृंगार किया और 200 साल पुराने गहनों से सजाया। पूजा के बाद मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं के दर्शन शुरू हुए, और भक्तों की भीड़ माता के जयकारों के साथ मंदिर की ओर बढ़ चली। भक्तों को सिक्के और धान का लावा प्रसाद के रूप में वितरित किया गया।
मंदिर के महंत ने बताया कि जो भक्त माता के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन के बाद इन सिक्कों को अपने घर में रखते हैं, उनके घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती। इस पांच दिवसीय उत्सव में हर वर्ष की तरह इस बार भी दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आए हैं, विशेषकर कोलकाता, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दक्षिण भारत से।
मंदिर में भक्तों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी, और व्यवस्था की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम से लगातार नजर रखी गई। इस अवसर पर एक चिकित्सा शिविर भी लगाया गया, जहां करीब दो हजार भक्तों को चिकित्सा सेवाएं और निशुल्क परामर्श प्रदान किया गया।