महत्वाकांक्षी चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना को शुरू हुए नौ वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अब भी छह योजनाएं लंबित हैं, जिनका कार्य शुरू होने की प्रतीक्षा में है। इस देरी के कारण परियोजना के सभी कार्य पूरे होने में अभी तीन और साल लगने का अनुमान है। परियोजना के पूरा होने पर चारधाम यात्रा के दौरान आवागमन और अधिक सुगम हो सकेगा।
चारधाम परियोजना की घोषणा के समय 53 कार्य प्रस्तावित थे, जिनके तहत 825 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाना था। इस पर अनुमानित लागत 12,769 करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी। योजना के क्रियान्वयन के दौरान 47 कार्यों को स्वीकृति दी गई, जिनमें से 42 कार्य शुरू किए जा सके। हालांकि, अब तक केवल 29 कार्य ही पूरे हो पाए हैं, जबकि 13 कार्य प्रगति पर हैं और बाकी छह परियोजनाएं अभी शुरू ही नहीं हो पाई हैं।
लंबित योजनाओं में पांच राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) से संबंधित हैं, जबकि दो कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधीन आते हैं। एनएच के मुख्य अभियंता दयानंद के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट की हाईपावर कमेटी ने पिछले वर्ष कुछ योजनाओं को स्वीकृति दी, जिसके बाद कार्य आगे बढ़ा, लेकिन छह कार्य अब भी लंबित हैं।
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इनमें ऋषिकेश, पिथौरागढ़, लोहाघाट बाईपास और ओजरी टनल के निर्माण कार्य शामिल हैं, जिनकी स्वीकृति अभी बाकी है। वहीं, चंपावत बाईपास को स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन इसके लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया अभी शुरू होनी है। चारधाम परियोजना के सभी कार्यों को वर्ष 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।