उत्तराखंड के माणा क्षेत्र में शुक्रवार तड़के हुए भारी हिमस्खलन की चपेट में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के 54 श्रमिक आ गए। राहत और बचाव कार्य में जुटी आईटीबीपी और सेना की टीमों ने तीन दिनों तक चले अभियान के बाद सभी श्रमिकों को ढूंढ निकाला। इस दुर्घटना में 46 श्रमिकों को सुरक्षित बचा लिया गया, जबकि 8 लोगों की जान चली गई।
तीन दिन चला रेस्क्यू अभियान
हादसे के तुरंत बाद आईटीबीपी और सेना ने शुक्रवार सुबह राहत अभियान शुरू किया। पहले दिन 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया। शनिवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) भी अभियान में शामिल हुआ। इस दौरान कुल 46 लोगों को बचा लिया गया, जबकि चार श्रमिकों के शव बरामद हुए। रविवार को लापता चल रहे चार अन्य श्रमिकों के शव भी खोज लिए गए, जिससे मृतकों की संख्या आठ हो गई।
मृतकों की सूची:
- अनिल कुमार (21) – निवासी ठाकुर नगर, रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड
- अशोक (28) – निवासी गंगहोल बेनाऊ, फतेहपुर, उत्तर प्रदेश
- हरमेश (31) – निवासी कुठार, ऊना, हिमाचल प्रदेश
- मोहिंदर पाल (42) – निवासी हिमाचल प्रदेश
- आलोक यादव – निवासी कानपुर, उत्तर प्रदेश
- मंजीत यादव – निवासी सरवान, उत्तर प्रदेश
- जितेंद्र सिंह (26) – निवासी बिलासपुर, उत्तर प्रदेश
- अरविंद कुमार सिंह (43) – निवासी न्यू कॉलोनी, क्लेमेंटाउन, देहरादून
बचाव अभियान का समापन
सभी बचाए गए श्रमिकों को हेलीकॉप्टर के जरिए ज्योतिर्मठ स्थित सेना अस्पताल लाया गया। गंभीर रूप से घायल दो श्रमिकों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है। इस अभियान में सेना के सात और एक निजी हेलीकॉप्टर की मदद ली गई।
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अब राहत कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन यह हादसा पहाड़ी इलाकों में कार्यरत श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े करता है।