कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर अब तक कई तेंदुओं और बाघों की जान बचा चुका है। इस सेंटर की संरचना को और उन्नत बनाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे यह देश के अन्य राज्यों के मानकों के अनुरूप हो सके। इसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए CTR प्रशासन ने शासन को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें नए बाड़े बनाने की बात कही गई है।
रेस्क्यू सेंटर का विस्तार और क्षमता वृद्धि
इस रेस्क्यू सेंटर की स्थापना वर्ष 2020 में घायल वन्यजीवों को बेहतर उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। अब तक यहां कई गंभीर रूप से घायल बाघों और तेंदुओं को नया जीवन दिया गया है। वन्यजीवों के प्रभावी पुनर्वास को देखते हुए, प्रशासन ने 32 नए बाड़े बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें 16 बाड़े बाघों के लिए और 16 बाड़े तेंदुओं के लिए होंगे।
कार्बेट के उपनिदेशक राहुल मिश्रा ने बताया कि देश में किसी भी अन्य स्थान पर इतने बड़े स्तर पर वन्यजीवों के उपचार की सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्रस्ताव पारित होने के बाद यह देश का पहला ऐसा रेस्क्यू सेंटर होगा, जहां एक साथ कई वन्यजीवों का इलाज किया जा सकेगा।
वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम
वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा ने उदाहरण देते हुए बताया कि हल्द्वानी क्षेत्र में एक घायल बाघ मिला था, जिसकी पिछली टांग की हड्डी कई जगह से टूट चुकी थी। उपचार के बाद, 2024 में उसे देहरादून चिड़ियाघर भेजा गया। इस तरह के मामलों को देखते हुए, रेस्क्यू सेंटर का विस्तार वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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प्रस्ताव पास होने के बाद, देश के अन्य राज्यों के घायल वन्यजीवों का भी यहां उपचार किया जा सकेगा, जिससे यह सेंटर राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख वन्यजीव पुनर्वास केंद्र के रूप में विकसित होगा।