
जागेश्वर धाम आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को नए आयाम देने वाली है। जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति ने प्रसाद के स्वरूप को बदलकर इसे स्थानीय अर्थव्यवस्था और परंपराओं से जोड़ने का सराहनीय प्रयास किया है।
अब मंदिर में प्रसाद के रूप में अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई, जागेश्वर धाम की कथा-पुस्तिका और तांबे का विशेष सिक्का दिया जाएगा, जिस पर मंदिर का चित्र उकेरा होगा। यह स्मृति चिह्न हर घर में प्रतिष्ठापित होगा और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक बनेगा।
इस पहल से अल्मोड़ा के ऐतिहासिक ताम्र उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। जिला प्रशासन ने स्थानीय तांबा कारीगरों को प्राथमिकता देकर सिक्के तैयार करने का निर्णय लिया है। इसके लिए कुछ कारीगरों से सैंपल सिक्के भी बनवाए गए हैं।
महिला सहायता समूह को बाल मिठाई बनाने की जिम्मेदारी देकर इस योजना को आत्मनिर्भरता से भी जोड़ा गया है। इसके सफल कार्यान्वयन के बाद इसे अल्मोड़ा के प्रसिद्ध गोल्ज्यू देवता मंदिर में भी लागू किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु स्मृति चिह्न के रूप में इन सिक्कों को अपने घरों में रख सकें।
यह योजना न केवल धार्मिक पर्यटन को नया स्वरूप देगी बल्कि स्थानीय कारीगरों और उद्यमों को भी मजबूती प्रदान करेगी।