
12 अक्टूबर को विजयादशमी पर्व के अवसर पर श्री महाकालेश्वर मंदिर से भगवान महाकाल की भव्य सवारी निकलेगी। शाम 4 बजे चांदी की पालकी में विराजमान भगवान महाकाल, विभिन्न मार्गों से होकर दशहरा मैदान की ओर प्रस्थान करेंगे। दशहरा मैदान पहुंचने के बाद शमी वृक्ष का विधिवत पूजन किया जाएगा और फिर सवारी वापस महाकाल मंदिर लौट जाएगी। इस पूजन की व्यवस्था मंदिर समिति द्वारा की जाती है।
मंदिर परिसर से सवारी के प्रस्थान के समय सशस्त्र पुलिस बल के जवान महाकाल को सलामी देंगे। सवारी के साथ पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस के जवान, मंदिर के पुजारी, अधिकारी और भक्तजन शामिल होंगे। इस बार विशेष रूप से राजसी स्वरूप में सवारी को और भव्य बनाने के लिए चुनिंदा भजन मंडलियों को भी आमंत्रित किया जा सकता है।महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पं. महेश के अनुसार, महाकाल उज्जैन नगरी के राजा हैं, इसलिए नगर के सभी प्रमुख पर्व-त्योहारों में उनकी उपस्थिति अनिवार्य होती है। जिस प्रकार श्रावण और कार्तिक मास में महाकाल की सवारी नगर में निकलती है, उसी प्रकार दशहरे पर भी उनकी उपस्थिति नगर में रहती है।
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पहले उज्जैन का राज्य ग्वालियर के राजघराने के अधीन था और दशहरे पर शमी और शस्त्र पूजा के दौरान ग्वालियर के राजा की उपस्थिति होती थी, लेकिन महाकाल अवंतिका के वास्तविक राजा हैं, इसलिए उन्हें विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है।