मुसलमान और दलित मतदाताओं ने कांग्रेस को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पुनर्जीवित कर दिया। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में उसे कम सीटों पर लड़ने का अवसर मिला, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने अपनी सीटों की संख्या में जबरदस्त सुधार किया है।मुसलमान और दलित मतदाताओं ने कांग्रेस को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पुनर्जीवित कर दिया। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में उसे कम सीटों पर लड़ने का अवसर मिला, लेकिन इसके बाद भी उसने अपनी सीटों की संख्या में जबरदस्त सुधार किया है। कांग्रेस ने न केवल रायबरेली और अमेठी सीट जीती, बल्कि दूसरी कई महत्वपूर्ण सीटों पर भी कब्जा कर लिया। यहां तक कि वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़े यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को भी बहुत अच्छे वोट मिले हैं। मुसलमानों ने जिस तरह कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होकर मतदान किया है, माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी को मिली जीत में भी कांग्रेस से उसके हुए गठबंधन का सबसे बड़ा योगदान है। उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या और मत प्रतिशत के हिसाब से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है, लेकिन सबसे बड़ा नुकसान बसपा का हुआ है। उसकी न केवल सीटें कम हो गईं, बल्कि उसका आधार वोट बैंक भी खिसककर दूसरे दलों की ओर चला गया। राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे के कारण दलित समाज कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा हो गया। इससे यूपी के साथ साथ पंजाब और कर्नाटक तक इंडिया गठबंधन को लाभ मिला। इसने कांग्रेस को जबरदस्त वापसी करने का मौका मिला है। राहुल गांधी अपनी सभाओं में लगातार संविधान की प्रति लहराते हुए यह बात कहते थे कि भाजपा जीतने के बाद संविधान बदल देगी। माना जा रहा है कि इससे दलित समुदाय के मतदाताओं में यह बात फैल गई कि उनके दलित आइकॉन बाबा साहब अम्बेडकर के बनाये हुए संविधान को बदल सकती है।
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भाजपा नेताओं ने बार-बार इस गलतफहमी को दूर करने की कोशिश की, लेकिन दलितों के बीच इस गलतफहमी को वह दूर नहीं कर पाई और उसे इसका नुकसान उठाना पड़ा। जबकि कांग्रेस को इसका जबरदस्त लाभ हुआ। इसे राहुल गांधी और कांग्रेस के मजबूत दांव की तरह से देखा जा रहा है