पहाड़ों की रानी Mussoorie प्राकृतिक रूप से जितनी खूबसूरत है उतना ही गौरवशाली है इसका इतिहास, देखिए पहाड़ों की रानी के इतिहास की कुछ खास तस्वीरें।
उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है खबर के मुताबिक बताया जा रहा है कि पहाड़ों की रानी Mussoorie प्राकृतिक रूप से जितनी खूबसूरत है उतना ही गौरवशाली इसका इतिहास है। बता दें कि अंग्रेजों का बसाया यह Hill Station अपने दामन में 200 साल पुरानी यादें संजोए हुए है। इतिहासकार गोपाल भारद्वाज के पास Mussoorie के इतिहास से जुड़े कई अहम दस्तावेज, ऐतिहासिक मानचित्र, लिथोग्राफ, पांडुलिपि और दुनिया की महान हस्तियों के Mussoorie दौरे की दुर्लभ तस्वीरों समेत 18वीं और 19वीं शताब्दी में इस्तेमाल होने वाली कई वस्तुएं आज भी मौजूद हैं।
बताया जा रहा है कि अगर शहर में संग्रहालय बने तो इन दुर्लभ चीजों का दीदार आमजन भी कर सकेंगे। गोपाल भारद्वाज का कहना है कि Mussoorie में दुनियाभर से पर्यटक आते हैं, वे यहां की खूबसूरती से तो वाकिफ हैं, लेकिन शहर के गौरवशाली इतिहास के बारे में उन्हें जानकारी नहीं मिल पाती।
इसी के साथ यह अफसोस की बात है कि 200 सालों के इतिहास से आज की पीढ़ी को रूबरू कराने के लिए शहर में एक संग्रहालय तक नहीं है। नगर पालिका परिषद Mussoorie के स्थापना के दो सौ साल पूरे होने पर जश्न मनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन पर्यटकों को इसके इतिहास से रूबरू कराने के लिए कोई पहल नहीं कर रही।
वहीं, गोरखा-अंग्रेज युद्ध में इस्तेमाल किया गया तोप का गोला आज भी मौजूद है। 1917 का प्रेशर कुकर, कई ऐसी निगेटिव जिसमें 1935 से लेकर 1942 तक की यादगार तस्वीरें हैं वह भी उनके पास है। गोपाल ने बताया कि वे चाहते थे कि ये सभी दस्तावेज और तस्वीरें आमजन के सामने प्रदर्शित हों, लेकिन शहर में संग्रहालय नहीं बन पाने के कारण ज्यादातर दस्तावेज, पांडुलिपि और तस्वीरें उन्हें निजी हाथों में देनी पड़ी।
महात्मा गांधी और पं. नेहरू के Mussoorie दौरे की तस्वीरें आज भी सुरक्षित
इसी के साथ भारद्वाज बताते हैं कि 28 मई 1946 को महात्मा गांधी Mussoorie आए थे। वे यहां 9 जून तक रहे थे। इस दौरान उन्हाेंने पिक्चर पैलेस स्थित सिल्वर्टन ग्राउंड में प्रार्थना सभा करते हुए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर देश की आजादी की लड़ाई की रणनीति बनाई थी। Mussoorie दौरे के दौरान गांधी जी बिरला हाउस में रुकते थे। इसके पहले 1929 में भी गांधी जी Mussoorie आए थे। इन सब अहम पलों की तस्वीरें उनके पास हैं।
बताया जा रहा है कि गांधी जी के अलावा गोपाल भारद्वाज के पास पंडित जवाहर लाल नेहरू के Mussoorie दौरे से जुड़ीं यादों की तस्वीरें और दस्तावेज भी हैं। भारद्वाज ने बताया कि पं. नेहरू 1914 से लेकर 1964 तक कई बार Mussoorie आए थे। अपने जीवन के अंतिम दिनों में भी उन्होंने मसूरी दौरा किया था। 25 मई 1964 को सुबह साढ़े नौ बजे वे Mussoorie का दौरा कर लौटे थे और 27 मई को उनका निधन हो गया था। नेहरू के उस अंतिम दौरे की तस्वीरें भी उनके पास हैं।
भारत का 1814 से लेकर 1871 तक का मानचित्र भी
गोपाल के कलेक्शन में सुभाषचंद्र बोस, मोतीलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, स्वरूप रानी, महाराजा कपूरथला, महाराजा पटियाला, महाराजा नाभा, महाराजा जिंद के भी Mussoorie दौरे की तस्वीरें भी थीं। उनके पास इंदिरा गांधी के बाल्यकाल की भी एक तस्वीर थी। इस तस्वीर में बालिका इंदिरा मालरोड पर मोतीलाल नेहरू की अंगुली पकड़कर चल रही हैं। इन तस्वीरों के अलावा उनके पास भारत का 1814, 1818, 1820, 1920 और 1871 का ऐतिहासिक मानचित्र भी था।
कई तस्वीरें बेचनी पड़ीं, कई खराब हो गईं
गोपाल भारद्वाज ने बताया कि यदि शहर में कोई संग्रहालय होता तो वे अपने पास मौजूद Mussoorie की दुर्लभ तस्वीरों, दस्तावेजों और वस्तुओं को वहां प्रदर्शित करते, ताकि आमजन जान सकें कि पहाड़ों और इमारतों के अलावा Mussoorie का एक बहुत खूबसूरत इतिहास भी है। लेकिन संग्रहालय नहीं होने के कारण ज्यादातर तस्वीरें और दस्तावेज खराब हो गए। जबकि कुछ को नष्ट होने से बचाने के लिए बेचना पड़ा।
इसके बाद गोपाल ने बताया कि ये दस्तावेज और तस्वीरें उन्हें उनके पिता राजगुरु ऋषि भारद्वाज से विरासत में मिले हैं। उनके पिता ने भी शहर में संग्रहालय बनवाने की बहुत कोशिश की, लेकिन किसी ने सहयोग नहीं किया। अब दो दशक से वे भी संग्रहालय के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने सिवाय आश्वासन देने के कुछ नहीं किया। वहीं,अब थोड़ी बहुत वस्तुएं और दस्तावेज उनके पास हैं, जो आज भी संग्रहालय बनने का इंतजार कर रही हैं
राजनीतिक विरोध के कारण नहीं बन सका
आपको बता दें कि नगर पालिका द्वारा संग्रहालय बनाने के लिए टेंडर लगा दिए गए थे। काम भी शुरू हो चुका था, लेकिन राजनीतिक विरोध के चलते संग्रहालय नहीं बन पाया। हमने संग्रहालय के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है, अनुमति मिलते ही निर्माण शुरू किया जाएगा