लिव-इन रिलेशनशिप: देहरादून के दो जोड़ों ने साथ रहने के लिए किया आवेदन, UCC पोर्टल पर दर्ज कराई एंट्री - Hindustan Prime
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लिव-इन रिलेशनशिप: देहरादून के दो जोड़ों ने साथ रहने के लिए किया आवेदन, UCC पोर्टल पर दर्ज कराई एंट्री

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिलने के साथ ही इसका पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। इसी के तहत देहरादून में दो जोड़ों ने सबसे पहले UCC पोर्टल पर लिव-इन पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।

लिव-इन पंजीकरण प्रक्रिया:
– आवेदनों की प्राथमिक जांच रजिस्ट्रार करेंगे, इसके बाद पुलिस दस्तावेजों और दावों की सत्यता की पुष्टि करेगी।
– सही पाए जाने पर जोड़ों को लिव-इन में रहने की अनुमति दी जाएगी।
– लिव-इन पंजीकरण के लिए जरूरी दस्तावेजों में पहचान प्रमाण, निवास प्रमाण पत्र, तलाक या पूर्व संबंध की स्थिति के दस्तावेज, मकान मालिक की एनओसी आदि शामिल हैं।
– लिव-इन में रहने के दौरान यदि महिला गर्भवती होती है, तो इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर उसका स्टेटस अपडेट करना होगा।

अनिवार्य पंजीकरण और दंड का प्रावधान:
– समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले से चले आ रहे लिव-इन रिश्तों को एक माह के भीतर पंजीकृत कराना होगा।
– नए लिव-इन संबंधों का पंजीकरण रिश्ते की शुरुआत की तारीख से एक महीने के भीतर कराना अनिवार्य है।
– पंजीकरण न कराने पर छह माह की जेल या ₹25,000 का जुर्माना या दोनों लगाए जा सकते हैं।

कानूनी सुरक्षा और अधिकार:
– पंजीकरण के बाद जोड़ों को एक रसीद दी जाएगी, जिसके आधार पर वे किराए के मकान, हॉस्टल या पीजी में रह सकेंगे।
– लिव-इन में पैदा हुए बच्चों को माता-पिता की जैविक संतान के सभी कानूनी अधिकार प्राप्त होंगे।
– पंजीकरण की सूचना संबंधित जोड़ों के माता-पिता या अभिभावकों को भी दी जाएगी।

UCC लागू होने के बाद देहरादून में अब तक 193 लोगों ने विभिन्न श्रेणियों में आवेदन किया है, जिनमें विवाह पंजीकरण, विवाह विच्छेद, वसीयत पंजीकरण, और कानूनी उत्तराधिकारी की घोषणा शामिल है। अब लिव-इन रिलेशनशिप के पहले दो मामलों ने इस नए कानून को वास्तविकता में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

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