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व्यक्ति पैसे से नहीं इन गुणों से बनता है धनवान, Chanakya ने कही थी ये बड़ी बाते,आप भी जानिए।

आपने आचार्य Chanakya के बारे में तो सुना ही होगा की वो बहुत गुणवान और विद्वान थे। वह शिक्षक होने के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। आपको बता दे की अपनी कुशलता को प्रबल करने के लिए Chanakya द्वारा पूरी निष्ठा से गहन अध्ययन किया गया था। क्या आपको पता है की Chanakya द्वारा अपने कौशल और बुद्धि के बल से जीवन में सफलता प्राप्त करने की कई नीतियां बनाई गई थीं।

बता दे की Chanakya द्वारा बनाई गई उन सभी नीतियों का संग्रह Chanakya नीति शास्त्र में है। तो हम आज आपको उन्हीं नीतियों में से कुछ नीतियां बताने जा रहे हैं। जिससे आपके विचारों में बदलाव होने के साथ ही आपके दैनिक जीवन में भी काफी सुधार हो जाएगा।

आदमियों में नाई सबसे धूर्त है, कौवा पक्षीयों में धूर्त है, लोमड़ी प्राणीयो में धूर्त है, औरतो में लम्पट औरत सबसे धूर्त है।
समुद्र में होने वाली वर्षा व्यर्थ है, जिसका पेट भरा हुआ है उसके लिए अन्न व्यर्थ है, पैसे वाले आदमी के लिए भेट वस्तु का कोई अर्थ नहीं, दिन के समय जलता दिया व्यर्थ है।

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जब आप सफ़र पर जाते हो तो विद्यार्जन ही आपका मित्र है। घर में पत्नी मित्र है। बीमार होने पर दवा मित्र है। अर्जित पुण्य मृत्यु के बाद एकमात्र मित्र है। वर्षा के जल के समान कोई जल नहीं, खुदकी शक्ति के समान कोई शक्ति नहीं, नेत्र ज्योति के समान कोई प्रकाश नहीं, अन्न से बढ़कर कोई संपत्ति नहीं और वही अगर Chanakya के अनुसार देखा जाए तो जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है।

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