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धर्मांतरण के मामलों में तेजी से बढ़ती चुनौतियाँ और न्याय की खोज

14 अप्रैल 2022 को ईसीआई चर्च में विहिप के हंगामे के बाद एक बड़ा धर्मांतरण मामला उजागर हुआ, जिसमें पादरी मुकुल समेत 55 लोगों के खिलाफ नामजदगी दर्ज की गई। इस मामले की जांच के दौरान प्रयागराज नैनी स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के चांसलर, वीसी और करीब 150 अन्य लोगों को भी आरोपित किया गया।

धर्म परिवर्तन के आरोप में जिले के मौलाना उमर गौतम को एनआईए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसने देश भर में आस्था से छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ा संदेश भेजा। हालांकि, कानूनी पेचिदगियों के कारण कई धर्मांतरण आरोपी अभी भी बेखौफ घूम रहे हैं।

बीते दो वर्षों में ईसाई और मुस्लिम धर्मांतरण के दो प्रमुख मामले सामने आए हैं, जिनमें पुलिस प्रशासन की कई कोशिशों के बावजूद मजबूत कार्रवाई की कमी रही है। मौलाना उमर गौतम के आजीवन कारावास के बाद भी स्थानीय लोग उनकी सजा को अपर्याप्त मानते हैं और फांसी की सजा की मांग कर रहे हैं।

सदर कोतवाली क्षेत्र में 21 जून 2022 को सामूहिक धर्मांतरण की फैक्टरी का खुलासा हुआ, जिसमें वर्ल्ड विजन और मिशन हॉस्पिटल जैसी संस्थाएं शामिल थीं। इस मामले में कई प्रमुख आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, हालांकि कुछ आरोपी अब भी फरार हैं।

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धर्मांतरण के अन्य हालिया मामलों में अगस्त 2024 में खागा कोतवाली की युवती को महाराष्ट्र ले जाकर धर्मांतरण कराया गया, जबकि जनवरी 2023 में बकेवर थाना क्षेत्र की युवती का धर्मांतरण कराया गया। इसी प्रकार, अक्तूबर 2023 में खखरेरू थाने के कठरिया में सामूहिक धर्मांतरण की घटना हुई और कई अन्य मामले भी सामने आए हैं।

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